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Milk Production: दूध उत्पादन करके इस गांव के लोगों ने पेश की पूरे राज्य में मिसाल, इनकम हो गई डबल

हरित प्रदेश मिल्क प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन सदस्यों को बोनस का तोहफा दिया जा रहा है.
प्रतीकात्मक फोटो. livestock animal news

नई दिल्ली. मध्य प्रदेश के साग में बावल पंचायत का गांव चौकान खेड़ा गांव दूध उत्पादन के मामले में आर्थिक रूप से संपन्न होता जा रहा है. यहां अहीर समाज के 70 से ज्यादा परिवार रहते हैं. गांव में 1300 से ज्यादा गाय व गैस हैं. ग्रामीण हर दिन 60 क्विंटल से अधिक दूध का उत्पादन करते हैं. साथ ही खेती-किसानी भी करते हैं. इससे हर परिवार को दोहरी कमाई हो रही है. एक तो खेती-किसानी से कमाई हो रही है. जबकि दूध उत्पादन मुनाफा कमा रहे हैं. वहीं दूध उत्पादन के मामले में गांव ने अपनी अलग पहचान बनाई है. चौकान खेड़ा में दूध और पशुपालन का व्यापार तेजी से बढ़ रहा है. यहां से आसपास के सभी गांवों में दूध भेजा जाता है.

गांव के दिनेश अहीर का कहना है कि हमारे गांव में बड़ी संख्या में गाय-भैंस का पालन किया जा रहा है. ग्रामीणों ने दूध उत्पादन को अपना प्रमुख व्यवसाय बना लिया है. प्रतिदिन 50 से 60 क्विंटल दूध डेयरी व दुग्ध केंद्रों पर भेजा जा रहा है.

महिलाएं निभा रहीं अहम भूमिका
गांव के प्रत्येक परिवार में 10-20 पशु हैं जो रोज 100 से 150 लीटर दूध देते हैं. इस कारण गांव आर्थिक रूप से संपन्न हो रहा है. दिनेश ने बताया कि मेरे परिवार में प्रतिदिन 1 किलो भी निकाला जाता है. जावद, नीमच में होने वाले शादी समारोह में हमारे यहां से लाल भेजी जाती है. जिसका हम टैक्स नहीं लेते हैं. इस गांव में महिलाएं भी अपनी भूमिका निभा रही हैं. पशुओं की देखभाल करने में महिलाओं की अहम भूमिका होती है. वे सुबह 4 बजे उठ जाती हैं और दूध निकालने के बाद पशुओं का भोजन तैयार करती है.

सरकार भी बढ़ाना चाहती है दूध उत्पादन
चौकान खेड़ा, रूपपुरा, लालपुरा, बावल, मोरवन में खेती से पशुओं का भोजन तैयार हो जाता है. इसी तरह गांव के अन्य लोग आर्थिक संपन्न हो रहे हैं. गांव के वरिष्ठ बाबूलाल अहीर ने बताया कि हमारा समाज का पीढ़ियों से यह कार्य कर रहा है. पंचायत में तकरीबन 850 लोगों की आबादी है. साक्षरता दर की बात की जाए तो 79 फीसदी है. गौरतलब है कि सरकार किसानों की इनकम को बढ़ावा चाहती है. जिसको लेकर कई योजनाएं भी चल रही है. ताकि किसानों को पशुपालन करने और उससे दूध उत्पादन करने में दिक्कत न आए. किसानों को लोन और सब्सिडी भी दी जाती है. ताकि वो दूध उत्पादन करके आत्मनिर्भर बन सकें.

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