नई दिल्ली. आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र में बर्ड फ्लू के कई केस आने की खबरें सामने आईं हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक महाराष्ट्र के 6 जिलों के कई पोल्ट्री फार्म में वर्ल्ड फ्लू के केस सामने आए हैं. जिसको देखते हुए 1 जनवरी से अब तक 7200 मुर्गियों को मार दिया गया है वहीं दो हजार से ज्यादा अंडों को नष्ट किया गया है. हालांकि पोल्ट्री फार्मर के लिए यहां राहत भरी खबर ये है कि उन्हें पशुपालन विभाग की ओर से मुआवजा भी दिया गया है. मीडिया रिपोर्ट में कहा जा रहा है कि वर्ल्ड फ्लू के मामले सिर्फ पोल्ट्री फार्म में ही नहीं, बल्कि तेंदुए, गिद्ध और कौवें में भी देखने को मिले हैं. अब तक 693 बर्ड और अन्य जानवरों की मौत हुई है. आसपास के लोगों में भी इसके संक्रमण फैलने को लेकर एहतियात बरती जा रही है.
महाराष्ट्र के अलावा आंध्र प्रदेश में भी बर्ड फ्लू का मामला सामने आया है. यहां संक्रमण रोकने के लिए डेढ़ लाख मुर्गियों को मारा जा चुका है. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि आमतौर पर यह वायरस पक्षियों या जानवरों में रहता है लेकिन कुछ सालों से इंसानों में भी इसके लक्षण दिखाई दे रहे हैं. जिस वजह से एहतियात बरती जा रही है.
ये लक्षण दिखाई दे सकते हैं
डॉक्टरों का कहना है कि इन्फ्लूएंजा वायरस आम इंसानों में सबसे पहले रेस्पिरेटरी सिस्टम को प्रभावित करता है. इसलिए गले में खराश और खांसी हो सकती है. इसके बाद सिर दर्द और बुखार जैसे लक्षण नजर आते हैं. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अगर इंसानों में वायरस फैलता है तो ऊपर बताया गए लक्षणों के अलावा बहुत ज्यादा थकान और कमजोरी भी हो सकती है. मसल पेन भी हो सकता है. नाक बह सकती है और आंखें लाल हो सकती हैं. बता दें कि ये वायरस सिर्फ बर्ड को छूने से ही नहीं, बल्कि संक्रमित मुर्गियों के चिकन और अंडे खाने से भी हो सकता है.
इस तरह कर सकते हैं बचाव
इस वायरस को रोकने के लिए किसी भी पोल्ट्री फार्म और पक्षी विहार में जाने से बचें. कोई पक्षी मर गया तो उसे छूने से बचें. घर के पालतू जानवरों को भी ग्लव्स पहनकर छुएं. मुर्गी और अंडा खाना अवॉइड करें. खाएं तो अच्छे से पकाएं. अगर अच्छे से पकाते हैं तो इसका खतरा खत्म हो जाता है. पक्षी यह जानवरों के आसपास जाएं तो हाथों को सेनेटाइज करें. बिना हाथ धोए अपने चेहरे को न छुएं. बाजार जाएं तो मास्क पहन कर जाएं. पोल्ट्री एक्सपर्ट कहते हैं कि पोल्ट्री फार्म में मुर्गियों का वैक्सीनेशन करना जरूरी होता है. इस वायरस के बचाव के लिए जानवरों पक्षियों के लिए वैक्सीन उपलब्ध है. जिससे संक्रमण का खतरा कम हो जाता है.
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