नई दिल्ली. पशुपालन में 70 फीसदी से ज्यादा खर्च पशुओं की फीड पर आता है. इसके चलते पशुपालन करना और इसमें फायदा उठाना मुश्किल हो जाता है. आमतौर पर डेयरी व्यवसाय करने वाले किसानों की चाहत होती है कि वो ज्यादा से ज्यादा कमाई करें. इसके के लिए वो पशुओं को ऐसा चारा खिलाते हैं, जिससे वो ज्यादा से ज्यादा दूध उत्पादन करें. अगर पशु ज्यादा दूध का उत्पादन करता है तो इससे फायदा जरूर होता है लेकिन अगर प्रति लीटर दूध की लागत कम कर दी जाए तो फायदा और ज्यादा मिलेगा. इससे डेयरी व्यवसाय में मुनाफा भी दोगुना से ज्यादा हो सकता है.
डेयरी एक्सपर्ट कहते हैं कि अगर हम बाजार से चारा खरीदते हैं तो या पशुपालन की लागत को बहुत ज्यादा बढ़ा देता है. जबकि प्रति लीटर दूध की लागत भी से बढ़ जाती है. जबकि इसे कम करना पशुपालकों के ही हाथ में है. इसके लिए जरूरी है कि हरा चारा बाजार से न खरीद कर अपने खेत में ही इसकी बुवाई करें. पशुओं को खिलाएं. इससे प्रति लीटर दूध की लागत को कम किया जा सकता है.
हरे चारे की लागत हो जाती है कम
डेयरी एक्सपर्ट की मानें तो अगर डेयरी किसान हरा चारा खुद की खेत पर लगाते हैं तो उसकी लागत एक रुपये से भी कम आती है. पशुपालक अपने खेत पर नेपियर घास लगा सकते हैं, जो बहुत ज्यादा पौष्टिक और पशुओं के लिए फायदेमंद है. इसको खिलाने से पशु ज्यादा दूध का उत्पादन करते हैं. पशुओं की सेहत भी अच्छी रहती है. वहीं सूखा चारा सीजन के टाइम पर स्टोर करना चाहिए. क्योंकि जब गेहूं और जौ का हार्वेस्टिंग का सीजन होता है तो उस समय गेहूं का भूसा 3 से 4 रुपए प्रति किलो के हिसाब से आसानी से मिल जाता है, लेकिन अगर इस हम इसी भूसे को आफ सीजन में खरीदते हैं तो हमें 8 से 10 प्रति किलो मिलता है.
इस वक्त रहता है फीड सस्ता
वहीं पशुओं से ज्यादा उत्पादन लेने के लिए उन्हें फीड भी खिलाया जाता है. इसके तौर पर जौ, मक्का और गेहूं का इस्तेमाल किया जाता है. जब जौ, मक्का और गेहूं का सीजन टाइम हो तो तभी इसे स्टोर कर लेना चाहिए. क्योंकि जौ, मक्का और गेहूं सीजन के टाइम में सस्ता मिलता है. आफ सीजन के टाइम में यह महंगा हो जाता है. सीजन के टाइम में गेहूं 20 से 25 रुपये किलो में मिल जाता है. मक्का 18 से 20 रुपए प्रति किलो के हिसाब से मिल जाता है. जबकि सीजन के बाद आप इसकी खरीदारी करते हैं तो गेहूं 30 रुपये और मक्का 25 से 27 रुपये प्रति किलो मिलता है.
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