नई दिल्ली. अब भारत की ही तरह श्रीलंका में भी ‘दूध की गंगा’ बहेगी. दरअसल, अमूल एनडीडीबी ने श्रीलंका में भारत जैसा डेयरी स्ट्रक्चर खड़ा करने की बात कही है. इस कार्य को करने के लिए एनडीडीबी के अध्यक्ष डॉ. मीनेश सी शाह ने अमूल डेयरी प्लांट, आनंद में श्रीलंका के जनता विमुक्ति पेरामुना के अनुरा कुमारा दिसानायके और उनकी टीम के साथ गहन चर्चा की. बैठक में इस अमलीजामा पहनाने के लिए तमाम प्रयासों के बारे में विचार विमर्श हुआ. बैठक में जीसीएमएमएफ के एमडी जयेन मेहता, एमडी, अमूल डेयरी अमित व्यास और आनंद के कलेक्टर प्रवीण चौधरी भी शामिल थे.
बेहतरीन है ये मॉडल
डॉ. मीनेश सी शाह ने कहा कि भारतीय डेयरी क्षेत्र की अविश्वसनीय यात्रा की खोज करते हुए, प्रतिनिधिमंडल को हमारे त्रि-स्तरीय सहकारी मॉडल का अवलोकन प्राप्त हुआ. यह मॉडल उत्पादकों को उपभोक्ता के रुपयों का लगभग 80% रिटर्न सुनिश्चित करता है, जो उनके बैंक खातों में निर्बाध रूप से जमा किया जाता है. उन्होंने आगे कहा कि श्रीलंकाई टीम को आश्वासन दिया कि उनके डेयरी क्षेत्र का व्यापक मूल्यांकन पशुपालन और डेयरी विभाग, एफएएचडी मंत्रालय, एनडीडीबी और जीसीएमएमएफ-अमूल द्वारा किया गया है.
आत्मनिर्भरता बनेगा डेयरी सेक्टर
बैठक में हुई चर्चा में बोले कि, प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण, नस्ल सुधार, कृत्रिम गर्भाधान और ईटी-आईवीएफ के संदर्भ में भारत के परिचालन ढांचे को श्रीलंका में दोहराया जाएगा. इसका फायदा श्रीलंका को मिलेगा. वहां दूध की सारी कमी पूरी हो जाएगी. एनडीडीबी और अमूल द्वारा रणनीतिक निवेश के साथ श्रीलंका में संयुक्त उद्यम कंपनी के माध्यम से संबंधों को मजबूत करने का उद्देश्य श्रीलंका के डेयरी क्षेत्र को सशक्त बनाना, आत्मनिर्भरता और परिचालन पारदर्शिता को बढ़ावा देना है.
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