नई दिल्ली. जर्सी नस्ल की गाय एक विदेशी गाय है और इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी कमजोर होती है. भले ही ये गाय दूध देने की क्षमता के कारण पूरी दुनिया के डेयरी किसानों के बीच सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है लेकिन ये जल्दी से बीमार पड़ जाती है और यही सबसे बड़ी कमी है. हालांकि अगर पशुपालक चाहें तो इन्हें बीमारियों से बचा सकते हैं. बस जरूरी ये है कि पशुपालकों को बीमारियों के बारे में और उसके इलाज के बारे में जानकारी रहे. एक्सपर्ट कहते हैं कि इन्हें कई तरह के रोग हो सकते हैं, जिनके होने की वजह और इलाज के बारे में हम आपको नीचे विस्तार से बता रहे हैं.
जर्सी नस्ल में ये रोग Pasteurella multocida नाम के जीवाणु की वजह से होता है. इस रोग के दौरान पशु को तेज बुखार, सांस लेने में तकलीफ होने लगती है. अगर रोग के शुरुआती लक्षणों को पहचानकर इसका इलाज न कराया जाए तो इसकी वजह से पशु की मौत भी हो सकती है. इसको लेकर जारी किए गए कुछ आंकड़ों की मानें तो गलघोंटू रोग के होने पर 80 प्रतिशत पशुओं की मौत हो जाती है.
खुरपका मुहंपका रोग और इलाज
ये रोग अधिकतर गाय को बारिश के दिनों के अंदर होता है. इस रोग के दौरान पशु के पैरों के खुर और मुंह में दाने हो जाते हैं और ये फूटकर घाव का रूप ले लेते हैं. इस रोग के होने पर पशु को तेज बुखार, लंगड़ा कर चलना, पैरों में सूजन होने लगती है. वहीं बात करें इसके इलाज की तो इसके लिए पशु की ताजा स्थिति को देखा जाता है, इसके बाद एंटी इंफ्लेमेटरी दवा के जरिए इसका इलाज किया जाता है.
थनैला रोग और उसका उपचार
थनैला रोग जर्सी जैसी नस्ल की गाय में अधिक देखने को मिलता है. ऐसा इसलिए क्योंकि ये नस्ल अधिक दुधारू होती है. इस रोग के होने के कई कारण हो सकते हैं, जिसमें गलत तरीके से दूध निकालना, थनों में चोट लगना, थन में गांठ पड़ना आदि शामिल हैं. गाय में थनैला रोग के होने पर इसका उपचार सही समय पर होना चाहिए. अगर सही समय पर इसके लक्षणों की पहचान न की जाए तो इसकी वजह से पशु खराब भी हो सकता है. अगर गाय को थनैला हो गया है तो पशु चिकित्सक अक्सर बीटा लैक्टामेज़-प्रतिरोधी पेनिसिलिन नाम की दवा की ही सिफारिश करते हैं, लेकिन ये दवा केवल पशु चिकित्सक की सलाह पर ही अपने पशु को दें.
थनैला से बचाव
थनैला से बचाने के लिए पशु का दूध अंगूठों के जरिए न निकालें. गाय को थनैला है या नहीं इसकी समय – समय पर जांच करें. गाय के दूध से खून निकल रहा हो या धार में छर्रा बन रहा हो तो ये थनैला का लक्षण हो सकता है. ऐसे में समय – समय पर पशु के दूध की जांच करते रहें. गाय को थनैला से बचाने के लिए उनके थनों को साफ रखें और देखते रहें कि उनमें गांठ तो नहीं हो गई है.
जर्सी गाय का टीकाकरण
जर्सी नस्ल की गाय को गंभीर और मौसमी रोगों से बचाने के लिए कई टीके लगवाए जाते हैं. ये टीके गाय को गलघोंटू, खुरपका मुहंपका और अन्य बीमारियों से बचाते हैं. हर चार महीने में खुरपका और मुंहपका से बचाने वाले टीके लगवाएं. हर 6 महीने में एंथ्रेक्स का टीका लगवाएं. हर 6 महीने में लंगड़ा बुखार या ब्लैक क्वार्टर का टीका. हर 6 महीने में हेमोरेजिक सेप्टीसीमिया टीका.
जर्सी गाय की डीवॉर्मिंग कैसे करें
जर्सी नस्ल की गाय की डीवॉर्मिंग करने के लिए आप दवाओं का सहारा ले सकते हैं, या फिर इसके लिए आप काली जीरी का भी उपयोग कर सकते हैं. जर्सी नस्ल की गाय की डीवॉर्मिंग हर 6 महीने में करा लेनी चाहिए. इसके अलावा अगर गाय को गाभिन करने का विचार कर रहे हैं तो डॉक्टर की सलाह पर समय रहते गाय को डीवॉर्मिंग की दवा जरूर दें.
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