नई दिल्ली. गाय और भैंस तो एक दिन में 15 से 20 लीटर दूध देती है लेकिन क्या बकरियां भी इतना दूध दे सकती हैं. हैरान न हों, ये सच है. भारत में बकरियों की ऐसी दो नस्ले हैं जो एक दिन में 15 से 20 लीटर तक दूध दे सकती हैं. अगर इन नस्लों की बकरियों को पाला जाए तो बहुत ज्यादा कमाई की जा सकती है. क्योंकि बकरी का दूध बेहद ही पोष्टिक होने के साथ—साथ इसमें कई औषद्यीय गुण भी होते हैं. इसके चलते डेंगू जैसे बुखार के फैलने के बाद इसका दूध 500 रुपये लीटर तक बिकता है. ऐसे में आप खुद अंदाजा लगा सकता हैं कि इससे कितनी कमाई हो सकती है.
दरअसल, इसी साल भारत में नीदरलैंड्स से आए एक्सपर्ट एड मार्क्स ने पंजाब में कई गोट्स फार्म दौरा भी किया था. जहां उन्होंने बीटल और बरबरी नस्ल की बकरियों को देखा तो कह उठे कि इन नस्लों में 15 से 20 लीटर तक दूध देने की क्षमता है. हालांकि बीटल नस्ल की बकरी हर दिन 5 लीटर तक दूध देती है. ये बकरी दिनभर में ज्यादा से ज्यादा दो किलो चारा खाती है. वहीं बीटल बकरी साल में दो बार बच्चे भी देती है. जबकि एक बार में बकरी दो से तीन बच्चे तक देती है. जबकि नीदरलैंड्स की सानेन बकरी औसतन 15 लीटर दूध डेली देती हे. जबकि कई अन्य नस्ल की बकरी 25 लीटर तक दूध दे देती है. अगर बीटल और बरबरी बकरी बकरियों को सही से पाला जाए तो दूध प्रोडक्शन और ज्यादा बढ़ सकता है.
क्या है ज्यादा दूध लेने का तरीका
नीदरलैंड से आए एक्सपर्ट एड मार्क्स ने यूनिवर्सिटी के सामने प्रस्ताव रखा है कि अगर नीदरलैंड्स की सानेन नस्ल के बकरे के सीमेन से बीटल और बरबरी बकरी से क्रॉस कराया जाए तो ये बकरियां सानेन के मुकाबले दूध देने लग जाएंगी. इससे भारत के किसानों को खूब फायदा होगा. वहीं गडवासु में उनके इस प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है. बीटल हो या बरबरी नस्ल कुछ ही बकरियों के साथ इस प्रस्ताव पर आगे बढ़ाया जा सकता है. क्योंकि हमे अपनी देसी नस्ल बीटल और बरबरी को भी बचाकर रखना है.
क्या है इन बकरियों की खासियत
गौरतलब है कि 13 से 14 महीने की उम्र पर बच्चा देने लायक इस नस्ल की बकरियां हो जाती हैं. ये बकरियां 15 महीने में दो बार बच्चे देती है. जबकि पहली बार बच्चा देने के बाद दूसरी बार 90 फीसद तक दो से तीन बच्चे देती हैं. वहीं 10 से 15 फीसद तक बरबरी बकरी 3 बच्चे देती हैं. बरबरी बकरी 175 से 200 दिन तक दूध देती है. जबकि बरबरी बकरी रोजाना औसत एक लीटर तक दूध देती है. बकरी के दूध के उत्पादन की बात की जाए तो राजस्थान में 68 लाख, उत्तर प्रदेश में 46 लाख, मध्य प्रदेश में 41 लाख, महाराष्ट्रा में 37 लाख वहीं तमिनाडु में 32 लाख टन दूध का उत्पादन होता है.
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