Home पोल्ट्री Busra Chichek: गुजरात की पहचान है बुसरा मुर्गी, जानें इसकी खासियत
पोल्ट्री

Busra Chichek: गुजरात की पहचान है बुसरा मुर्गी, जानें इसकी खासियत

बुसरा भारत में पाई जाने वाली एक छोटी से मध्यम आकार की मुर्गी की नस्ल है.
प्रतीकात्मक तस्वीर।

नई दिल्ली. पशुपालन कर आज अन्नदाता अपनी कमाई को बढ़ा रहे हैं. देश के हर राज्य में बड़े स्तर पर पशुपालन किया जाता है. वहीं मुर्गी पालन से किसानों की आय का प्रमुख जरिया बनता जा रहा है. इस व्यवसाय को शुरू करके मुर्गी पालक अच्छी खासी आमदनी कमा सकते हैं. ज्यादातर गांव में मुर्गी पालन इस बात को ध्यान में रखकर किया जाता है कि उनसे मांस भले ही कम मिले लेकिन अंडे ज्यादा मिलें. विशेषज्ञों का कहना है कि मुर्गी पालन के लिए हमेशा ही ऐसी मुर्गियों को चुना जाना चाहिए जो ज्यादा बड़े अंडे देने वाली हों. कई क्षेत्रों में अधिकांश आदिवासी परिवारों की तरफ से अस्थाई तौर घर के आंगन में मुर्गी पालन का बिजनेस किया जाता है. आज बात कर रहे हैं मुर्गी की एक ऐसी नस्ल की जो गुजरात की पहचान है. ये है बुसरा मुर्गी.
गुजरात में पाई जाने वाली मुर्गी की नस्ल में ये मुर्गी अपने मांस के लिए जानी जाती है. अंडे और मांस के जरिए मुर्गी पालन में लोग कमाई कर रहे हैं.

बुसरा भारत में पाई जाने वाली एक छोटी से मध्यम आकार की मुर्गी की नस्ल है, जो अपनी तेज़ वृद्धि और अच्छे मांस उत्पादन के लिए जानी जाती है। यह एक दोहरे उद्देश्य वाली नस्ल है, जिसका अर्थ है कि इसे मांस और अंडे दोनों के लिए पाला जाता है, हालाँकि यह एक विपुल लेयर नहीं है। बुसरा पक्षी महाराष्ट्र के नंदुरबार के नवापुर तालुक और धुले जिलों के सकरी तालुक और गुजरात के सूरत जिले के सोनगढ़ और उच्छल तालुकों में पाए जाते हैं।

बुसरा मुर्गी की विशेषताएं: बुसरा मुर्गी का आकार छोटे से मध्यम होता है. शरीर के रंग में व्यापक भिन्नता, गर्दन, पीठ और पूंछ पर अक्सर सफेद रंग के काले पंखों के साथ मिश्रित पंख और कंधों और पंखों पर लाल भूरे रंग के पंख होते हैं. बुसरा मुर्गी की त्वचा गुलाबी रंग की होती है. कंघे लाल, एकल, आकार में छोटे से मध्यम और सीधे खड़े होते हैं.

रोग प्रतिरोधक क्षमता: विभिन्न जलवायु के लिए उपयुक्त होती है. बुसरा मुर्गी में रोग प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होती है. इस मुर्गी का पालन मीट और अंडे के लिए किया जाता है. लेकिन इसकी भारी लेयर नहीं है. कुशल फीड रूपांतरण के लिए जाना जाता है. जिससे उन्हें पालना लागत-प्रभावी हो जाता है. बुसरा मुर्गियां कुछ अन्य नस्लों की तरह व्यापक रूप से उपलब्ध नहीं हैं और अधिक क्षेत्र-विशिष्ट हो सकती हैं. ये महाराष्ट्र और गुजरात क्षेत्रों में आदिवासी लोगों द्वारा पाली जाती हैं.

Leave a comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Related Articles

बीमार मुर्गी का वजन कम हो जाता है और हर समय उदास रहती है.
पोल्ट्री

Poultry Disease: चूजों पर ज्यादा अटैक करती है ये बीमारी, इम्युनिटी को पहुंचाती है नुकसान

इसलिए नुकसान का खतरा ज्यादा रहता है. यह भयंकर छूतदार बीमारी है...

livestock animal news
पोल्ट्री

Maize Crop Production: किस वजह से देश में मक्का की उत्पादकता है कम, कैसे बढ़ेगी ये भी जानें

एक तरफ कुछ राज्यों में ​वैश्विक उत्पादन आंकड़े को छू लिया तो...

poultry farming
पोल्ट्री

Poultry Farming: कैंसर की तरह खतरनाक है मुर्गियों को होने वाली ये बीमारी, पढ़ें डिटेल

धीरे-धीरे फैलकर पक्षियों के किसी भी बाहरी और भीतरी अंगों को प्रभावित...

maize crop
पोल्ट्री

Poultry Feed: जानें भारत के किस राज्य में सबसे ज्यादा हुआ मक्का उत्पादन, कई बड़े देश भी पीछे छूटे

एथेनॉल मिश्रण लक्ष्यों के बढ़ने के साथ, उत्पादकता को बढ़ाना खाद्य सुरक्षा...