करनाल. राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान करनाल के कृषि विज्ञान केन्द्र में 12 जनवरी 2024 को कृषि विज्ञान केन्द्र की वार्षिक वैज्ञानिक सलाहकार समिति की बैठक राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान करनाल के निदेशक एवं कुलपति, डॉक्टर धीर सिंह की अध्यक्षता में संपन्न हुई. निदेशक ने उद्घाटन संबोधन में बताया कि कृषि विज्ञान केन्द्र को करनाल जनपद के प्रत्येक गांव से संपर्क स्थापित करना चाहिए. प्रशिक्षण के लिए प्रचार-प्रसार करना चाहिए.
कृषि, पशुपालन, डेरी, मत्स्य को लाभ प्रद बनाने पर जोर
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि करनाल स्थित सभी अनुसंधान संस्थानों, विश्वविद्यालयों एवं जिला स्तरीय विभागों के अधिकारियों को एक साथ बैठकर कृषि, पशुपालन, डेरी, मत्स्य आदि क्षेत्रो को लाभ प्रद बनाने के लिए ठोस कार्य योजना बनाने की आवश्यकता है. कृषि विज्ञान केन्द्र एवं जिला स्तरीय विभागों द्वारा किसानों के साथ कार्य करते हुए अनुसंधान योग्य बिन्दुओं को संकलित करके अनुसंधान संस्थानो को प्रस्तुत करना चाहिए, जिससे कि प्रोद्योगिकी मूल्यांकन के दौरान रही कमी को पूरा किया जा सके.उन्होंने बताया कि कृषि क्षेत्र के सकल घरेलू उत्पाद में डेरी सेक्टर का सबसे अधिक योगदान है.
विकसित प्रोद्योगिकी को प्रचार-प्रसार के लिए सम्मिलित किया जाए
संयुक्त निदेशक, शैक्षणिक डॉक्टर एके सिंह ने बताया कि कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा विभिन्न फसल एवं डेरी पालन पर तकनीकी वीडियो बनाकर वेबसाइट के माध्यम से उपलब्ध कराने चाहिए. केन्द्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉक्टर आरके यादव ने बताया कि जिले के लवण प्रभावित क्षेत्र में संस्थान द्वारा विकसित प्रोद्योगिकी को प्रचार-प्रसार हेतु सम्मिलित किया जाना चाहिए. समिति की बैठक में केन्द्र के अध्यक्ष डॉ पंकज कुमार सारस्वत ने वर्ष 2023 की वार्षिक प्रगति प्रतिवेदन एवं वर्ष 2024 की कार्य योजना प्रस्तुत की जिसमें कृषक प्रक्षेत्र अनुसंधान, प्रथम पंक्ति प्रदर्शन, किसानों एवं हितधारकों का क्षमता निर्माण एवं विकास कार्यक्रम, फसल अवशेष प्रबंधन योजना, प्राकृतिक खेती योजना योजना, कृषि ड्रोन योजना, केन्द्र एवं राज्य सरकार के महत्त्वपूर्ण कार्यक्रमों में भागीदारी, किसान मेलों एवं किसान गोष्ठी का आयोजन, विद्यार्थियों की क्षमता निर्माण, कृषको हेतु विभिन्न आदान उत्पादन, कृषक साहित्य, अनुसंधान पत्र, पोर्टल रिपोर्ट संकलन एवं सम्पादन, वित्तीय प्रगति एवं आय सृजन विषय शामिल थे.
गेहूं की उन्नत किस्में फसल वाटिका में शामिल करने का सुझाव
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान क्षेत्रीय केन्द्र करनाल के अध्यक्ष डॉक्टर एस के यादव ने भी अपने सुझाव रखे. कृषि प्रोद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान (अटारी) जोन II, जोधपुर से वर्चुअल माध्यम से डॉक्टर एचएन मीना, वरिष्ठ वैज्ञानिक ने भी अपने सुझाव समिति में प्रस्तुत किए. वार्षिक बैठक में करनाल जनपद के कृषि विभाग, पशुपालन विभाग, मत्स्य पालन विभाग, महाराणा प्रताप उद्यानिकी विश्वविद्यालय करनाल, नाबार्ड बैंक, महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी, डेरी संस्थान के सभी विभागाध्यक्ष, एनजीओ एवं किसान उत्पादक संगठन के अधिकारी एवं किसान सम्मिलित हुए. भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल के प्रधान वैज्ञानिक डॉक्टर अनुज कुमार ने उनके संस्थान द्वारा विकसित जलवायु समुत्थानशील गेहूं की किस्में फसल वाटिका में शामिल करने का सुझाव दिया जिससे कि कृषक स्वयं मुल्यांकन कर सकें डॉक्टर पवन सिंह, विभागाध्यक्ष ने पशु प्रबंधन एवं उत्पादन में कार्य करने के सुझाव दिए.
महिलाएं गांव में ही गोबर से केंचुआ खाद बनाकर बनें स्वालंबी
बैठक में महिला किसान राजबाला ने बताया कि कृषि विज्ञान केन्द्र करनाल से उनको बहुत ही फायदा हुआ है. उन्होंने सुझाव दिया कि उनकी स्वयं सेवा समूह की महिलायों के लिए केंचुआ खाद पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करवाए जायें जिससे कि महिलाएं गांव में ही गोबर से केंचुआ खाद बनाकर स्वालंबी बन सकें. हरियाणा विज्ञान मंच के श्री राजेंद्र सिंह ने पोषण वाटिका को और अधिक गावों में बढ़ाने का सुझाव दिया. कुंजपुरा के राजेश कुमार ने फसलों में नेनो यूरिया पर अपने सुझाव रखे. डॉक्टर पंकज कुमार सारस्वत ने बताया कि उनका कृषि विज्ञान केन्द्र ज्यादा से ज्यादा बीज उत्पादन कर रहा है, जिससे कि किसानों को उच्च गुणवत्ता का बीच उचित दाम में मिल जाता है. उन्होंने बताया कि गत वर्ष सन 2023 में कुल 2535 किसानों द्वारा 46 प्रशिक्षण कार्यक्रमों में हिस्सा लेकर उनके ज्ञान एवं दक्षता में वृद्धि हुई.
27 फरवरी से 29 फरवरी तक लगेगा वार्षिक डेरी मेला
निदेशक डॉक्टर धीर सिंह ने हरियाणा सरकार के विभिन्न विभागों से आए अधिकारियों एवं प्रतिनिधियों को राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान द्वारा आयोजित किये जाने वाले वार्षिक डेरी मेले 27 से 29 फरवरी 2024 में आने का निमंत्रण दिया. कृषि विज्ञान केन्द्र की वार्षिक प्रगति प्रतिवेदन के बाद वर्ष 2024 के लिए किए जाने वाले कार्यों की सूची भी प्रस्तुत की गई जिसमें विभिन्न फसलों पर लगाए जाने वाले प्रदर्शन, प्रशिक्षण कार्यक्रम, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के विभिन्न कार्यक्रम, इत्यादि शामिल थे. डॉक्टर पंकज कुमार सारस्वत ने कृषि विज्ञान केन्द्र की तरफ से अपनी टीम जिसमें डॉक्टर कुलबीर सिंह, डॉक्टर रमेश चंद्रा, डॉक्टर राजकुमार, डॉक्टर मनीष लहरावन, डॉक्टर संतोष कुमार, डॉक्टर अरुण कुमार, दीपा, सुनीता रानी, बलदेव, वरुण कुमार, ममता भारद्वाज के सहयोग के लिए उनको धन्यवाद ज्ञापित किया.
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