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Poultry farming: सिर्फ हवा से फैलने वाले इन्फेक्शन से ही नहीं पानी से भी फैल सकती है मुर्गियों में बीमारी

Poultry farming: Not only airborne infections, but also water can spread disease in chickens, Livestocknews.com
फार्म में चारा खाती मुर्गियां. live stock animal news

नई दिल्ली. अक्सर देखा जाता है कि मुर्गे-मुर्गियों में बड़ी जल्दी बीमारी फैल जाती हैं. इन बीमारी के फैलने का कोई एक नहीं बल्कि कई कारण हो सकते हैं. कुछ लोग सोचते हैं कि हवा से फैलने वाले इन्फेक्शन से बीमारी फैलती है लेकिन बीमारी फैलने का कारण उन्हें पिलाया जाने वाला पानी भी हो सकता है, जिस पर मुर्गी पालकों की कम नजर पड़ती है. मुर्गी विशेषज्ञों की मानें तो ये बीमारी मुर्गियों को पिलाए जाने वाले पानी से भी आ सकती हैं. इसलिए मुर्गियों को दिए जाने वाले पानी की भी वक्त-वक्त पर परीक्षण होना बेहद जरूरी है. बता दें कि अगर आप ऐसा करते हैं तो अपने मुर्गी फार्म को कई घातक की बीमारियों से बचाया जा सकता है.

मुर्गे-मुर्गियों में बीमारी सिर्फ इन्फेक्शन से ही नहीं फैलती बल्कि बीमारी उन्हें पिलाए जाने वाले पानी से भी हो सकती हैं. बीमारियां ब्रॉयलर बर्ड की अपेक्षा अंडा देने वाली लेअर बर्ड में जल्द पनपती हैं. इसलिए अंडा देने वाली लेअर बर्ड में पानी का बहुत ज्यादा ध्यान दिया जाता है. हालांकि पोल्ट्री एक्स्पर्ट की मानें तो ब्रॉयलर बर्ड के लिए जरूरत के हिसाब से पानी की मात्रा को जरूरी बताते हैं. इसके पीछे का करण बताया जाता है कि ब्रॉयलर बर्ड तीन से 35 दिन में तैयार होकर बाजार पहुंच जाती है. इसलिए इस पर बहुत ज्याहदा ध्यान नहीं दिया जाता है. जबकि लेअर बर्ड ढाई से तीन साल तक पाली जाती है और अंडे की क्वालिटी बनाए रखने के लिए उस पानी का ध्यान रखना पड़ता है.

पानी का कितना होना चाहिए टीडीएस लेवल
आगरा के मुर्गी फार्म संचालक मनीष शर्मा कहते हैं कि पोल्ट्री फार्म में बर्ड को पानी आप जमीन से निकला पिला रहे हैं या फिर वॉटर वर्क्स की सप्लाई वाला, पानी की जांच करना बेहद जरूरी है. सबसे पहले पानी के टीडीएस की जांच करनी चाहिए. पानी का टीडीएस लेवल 300 से ज्यादा किसी भी कीमत नर नहीं होना चाहिए. बात करें पीएच लेवल का तो ये क्षेत्रीय इलाके में पानी की उपलब्धता और पानी के रिसोर्स पर भी निर्भर करता है.

समय-समय पर की जाए पानी की सफाई
फार्म में फीडर के लिए मुर्गियों के लिए पानी जाता है उस पॉट की समय-समय पर सफाई होती रहनी चाहिए. पानी को ज्यादा दिनों तक पॉट में जमा नहीं होने देना चाहिए. अगर ज्यादा दिनों तक पानी जमा रहेगा तो वो दूषित हो जाएगा. इसलिए जरूरत के हिसाब से ही पानी भरें. अगर पानी जमा भी हो रहा है तो पानी में ब्लीचिंग पाउडर मिलाकर उसे प्रदूषण मुक्त रखें.

पानी से भी बीमार हो जाती हैं मुर्गियां
आगरा के मुर्गी फार्म संचालक मनीष शर्मा कहते हैं कि पोल्ट्री फार्म में जैसे-जैसे चूजों (चिक्स) की उम्र बढ़ती जाती है वैसे ही उनकी पानी की जरूरत भी बढ़ती है. गर्मियों के मौसम में मुर्गियों को पीने के पानी की बहुत ज्यादा जरूरत होती है. विशेषज्ञों के अनुसार अंडा देने वाली मुर्गियों के मुकाबले चिकन के लिए पाली जाने वालीं ब्रॉयलर मुर्गियों को पानी की जरूरत ज्यादा होती है. क्योंकि दोनों के दाने में बहुत फर्क होता है. ब्रॉयलर मुर्गी दाना भी ज्यानदा खाती हैं. ब्रॉयलर का दाना सूखा होता है तो इस वजह से उन्हें पानी की भी ज्यादा जरूरत होती है.

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