नई दिल्ली. देशभर में पोल्ट्री कारोबार बहुत ही मुनाफे का सौदा साबित हो रहा है. इससे करोड़ों की संख्या में किसान जुड़े हैं और मुनाफा कमा रहे हैं. लेकिन चूजों के सही पालन-पोषण के लिए किन बातों का ख्याल रखना चाहिए, चूजा पालने का उचित समय क्या है और चूजे ऐसे समय खरीदें या घर पर ही अंडों से निकाले कि उनका अंडा उत्पादन उस समय शुरू हो ताकि अंंडों की ज्यादा कीमत हासिल हो सके. ये सब इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बता रहे हैं. क्योकि चूजा पालन के लिए मौसम बड़ी भूमिका निभाता है. पोल्ट्री के एक्सपर्ट कहते हैं कि जहां तक संभव हो एक दिन की उम्र के ही चूजे खरीदें. हमेशा हेल्दी चूजे ही लें.
चूजे पालने के तरीकों की बात की जाए तो अंडे से चूजे निकलने के बाद चूजों को मौसम के मुताबिक 8 सप्ताह तक एक निश्चित तापमान देने की आवश्यकता होती है. इस क्रिया को ब्रूडिंग भी कहा जाता है. चूजा पालन की दो विधियों प्रचलन में है. अपने आकार के अनुसार एक मुर्गी 10-15 चूजे पाल सकती है. इस काम के लिए देशी मुर्गी ज्यादा सही होती हैं. इस काम के लिए एक अलग पालन दड़बों का इस्तेमाल करना चाहिए. यह दड़बा 2 फीट 2 फीट का, एक तरफ थोड़ा ढलान वाला होना चाहिए. जिसे बांस की टोकरी, गत्ते का बक्सा आदि से बनाया जा सकता है.
मुर्गी की मदद से अंडों को बाहर निकालने का काम: मुर्गी की मदद से अंडों से चूजा निकालने का काम किया जाता है. चूजा पालन के लिए भी प्राकृतिक विधि द्वारा मुर्गी की सहायता से किया जाता है. मुर्गी अपने शरीर का तापमान चूजों को देकर उन्हें पालती है.
यहां मुर्गी चूजों के पास बैठ कर अपने शरीर की गर्मी चूजों को दे सकती है. इस तरीके से चूजा पालन करते समय भी कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है. मुर्गी और चूजों को अन्य मुर्गियों से थोड़ा अलग सूखा, हवादार व सुरक्षित जगह देनी चाहिए. ताकि वह अपनी और चूजों की हिफाजत कर सके एवं उन्हें भली-भांति पाल सके.
ऐसे दें आहार: मुर्गी और चूजों को संतुलित आहार का मिश्रण दिन में कम से कम दो बार जरूर दें. साफ पानी सदा उपलब्ध रहना चाहिये तथा पानी का बर्तन गहरा नहीं होना चाहिये नहीं ता चूजे उसमें डूब कर मर सकते हैं. दिन में मुर्गी व चूजों को बाहर खुला छोड़ दें लेकिन रात में उन्हें दड़बों में बंद करें, जिससे जंगली जानवर, कुत्ते, बिल्ली, चूहों व सांप से तथा गर्मी, सर्दी व बरसात से उनका बचाव हो सके.
चोंच पर दें ध्यान: चूजों व बड़ी मुर्गियों में कई बार एक दूसरे को चोंच मार कर घायल कर देने की बुरी आदत पड़ जाती है. 4 से 6 सप्ताह की आयु में चूजों की चोंच के ऊपर वाले हिस्से का एक तिहाई भाग काट देना चाहिए. यह ध्यान रखें की केवल मादा चूजों की ही चोंच काटे नर चूजों की नहीं अन्यथा वह बड़ा होकर मादा पर प्रजनन हेतु नहीं चढ़ सकेगा. इन टिप्स से अच्छे चूजे प्राप्त किए जा सकते हैं और पोल्ट्री में मुनाफा ले सकते हैं.
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