नई दिल्ली. सरकार पशुपालन के जरिए दूध उत्पादन को बढ़ावा दे रही है. वहीं इसका फायदा यह भी है कि इससे किसानों की इनकम बढ़ रही है. सरकार का मानना है कि किसानों की इनकम बढ़ाने के लिए पशुपालन को बढ़ावा देना जरूरी है. तभी किसानों को फायदा पहुंच सकेगा. इसी वजह से कई स्कीम भी चलाई जा रही है. ताकि किसान पशुपालन की ओर आकर्षित हों और पशुपालन करके अपनी इनकम को दोगुना दोगुना कर सकें. राजस्थान में भी सरकार की कोशिश की पशु पलकों की आय में इजाफा किया जाए.
राजस्थान सरकार की ओर से कई प्रयास किया जा रहे हैं ताकि पशुपालकों की आय बढ़े और राज्य में दूध उत्पादन भी बढ़ जाए. जिससे देश के कुल दूध उत्पादन में राज्य की हिस्सेदारी बढ़ सके. पिछले दिनों एक कार्यक्रम में केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने राज्य में दूध उत्पादन 20 फीसदी तक बढ़ाने की बढ़ाने का टारगेट मध्य प्रदेश की सरकार को दिया था.
दूध की खरीदारी की जाएगी
वहीं मुख्यमंत्री डॉ. यादव पिछले दिनों मंत्रालय में कैबिनेट की बैठक के पहले मंत्रियों को संबोधित करते हुए कहा था कि देश के इतिहास में पहली बार केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में 13 अप्रैल को राज्य सरकार तथा नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (एनडीडीबी) के मध्य सहकारिता अनुबंध हुआ है. प्रदेश के पशुपालकों को इसका सीधा लाभ होगा. पशुपालकों के उत्पादित दूध एवं इससे जुड़े अन्य उत्पाद अब सीधे एनडीडीबी के माध्यम से खरीदे जाएंगे. सीएम ने कहा कि था कि दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार की ओर से 5 रुपए प्रति लीटर बोनस के रूप में प्रोत्साहन राशि देने सहित डॉ. भीमराव आंबेडकर कामधेनु योजना का प्रचार-प्रसार और मप्र के दूध की प्रदेश एवं राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक मार्केटिंग एवं ब्रांडिंग भी की जाए.
2 करोड़ लीटर दूध उत्पादन का है लक्ष्य
एनडीडीबी की ओर से प्रदेश में दूध उत्पादन क्षेत्र में उत्तरोतर प्रगति के लिए कॉम्प्रेहेंसिव प्लान मप्र सरकार के साथ मिलकर तैयार किया जा रहा है. मुख्यमंत्री ने पशुपालन एवं डेयरी विकास राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) लखन पटेल को केंद्रीय मंत्री से मिले निर्देशों में तय लक्ष्य शामिल कर एनडीडीबी के साथ हुए अनुबंध में आवश्यक संशोधन करने के लिए भी कहा है. मुख्यमंत्री डॉ. यादव वे निर्देश दिए कि प्रदेश में अगले 5 साल में 2 करोड़ लीटर प्रतिदिन दुग्ध उत्पादन क्षमता का लक्ष्य लेकर आगे बढ़ें. इस दिशा में एनडीडीबी से भी मार्गदर्शन लेने की जरूरत पर भी उन्होंने जोर दिया. उन्होंने कहा कि अभी प्रदेश के दुग्ध संघों की ओर से मात्र 10 लाख लीटर प्रतिदिन दुग्ध संकलन किया जाता है.
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