नई दिल्ली. राजस्थान का चुरू जिला खास तौर पर तापमान के चढ़ने और गिरने के लिए जाना जाता है. सर्दियों में यहां तापमान माइनस तक चला जाता है, जबकि गर्मियों में 50 डिग्री के पार हो जाता है. यहां पर कड़ाके की ठंड भी पड़ती है और भीषण गर्मी भी. कई बार यहां बे मौसम बारिश भी हो जाती है. इस जिले की जमीन की बात करें तो ज्यादातर जमीन रेतीली है. वहीं जलवायु परिवर्तन का असर कहें या फिर पानी की मार, यहां फसल का उत्पादन आधा ही रह गया है. बारिश का पानी यहां न के बराबर है, तो ग्राउंडवाटर से लोगों ने कृषि किया लेकिन वह भी खारा हो चुका है. यही सोचकर किसानों ने यहां से पलायन शुरू कर दिया और देश के अन्य हिस्सों में चले गए, लेकिन यही खारा पानी आगे चलकर चुरू वालों के लिए सोना बन गया. क्योंकि झींगा मछली ने चुरू वालों की किस्मत को बदलकर रख दिया.
खूब होता है झींगा का उत्पादन
मौजूदा वक्त में विदेश में चुरू का रेतीला झींगा खूब पसंद किया जाता है. चुरू में परिवर्तन देखकर केंद्र और राज्य सरकारों ने भी अपने खजाने के मुंह यहां के लिए खोल दिए. अगर चुरू की बात की जाए तो अकेले यहां 100 हेक्टेयर से ज्यादा जमीन पर झींगा पालन किया जा रहा है. एक मोटे अनुमान के मुताबिक चुरू में 1 साल में करीब 3000 टन झींगा का उत्पादन किया जा रहा है. वहीं तीन से चार महीने में झींगा तैयार हो जाता है. आमतौर पर मछली पालक साल में तीन बार झींगा की फसल करते हैं. ज्यादातर एक्सपोर्ट होने के साथ राजस्थान के कुछ फाइव स्टार होटल में भी झींगा सप्लाई किया जा रहा है.
केंद्र व राज्य सरकार ने दिया पैकेज
चूरू में झींगा पालन को और ज्यादा बढ़ावा देने के को लेकर सरकार पीएएमएसवाई योजना के तहत कार्य कर रही है. चुरू में मछलियों की जांच के लिए एक हाइटेक लब भी बनवाई गई है. इस जलीय कृषि प्रयोगशाला नाम दिया गया है. वहीं राजस्थान सरकार ने जिला मत्स्य ऑफिस भी शुरू कर दिया है. इतना ही नहीं केंद्र सरकार ने 16 करोड़ तो राज्य सरकार ने 52 करोड़ रुपए का पैकेज चुरू के लिए दिया है. ताकि झींगा पलकों को और ऊंचे पंख लग जाएं.
खारा पानी है झींगा के लिए अमृत
गुजरात के सूरजत जिला के निवासी फिशरीज के डॉक्टर मनोज शर्मा कहते हैं कि जमीन पर खारा पानी, झींगा पालन के लिए किसी अमृत से कम नहीं होता है. जमीन के पानी में किसी तरह के बैक्टीरिया नहीं होते हैं और यह पूरी तरह से झींगा के लिए शुद्ध और प्योर माना जाता है. झींगा को 26 से 32 डिग्री तापमान वाला पानी चाहिए होता है. तालाब के पानी के तापमान और बाहरी तापमान में 5 से 6 डिग्री का अंतर माना जाता है. इसके अलावा झींगा के तालाब में कई तरह के उपकरण भी लगाए जाते हैं, जो पानी में मूवमेंट बनाने और इसे अपनी सामान्य तापमान बनाए रखने में मदद करते हैं.
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