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Sheep Business: इस नस्ल की भेड़ से साल में दो बार ले सकते हैं ऊन, जानिए डेक्कानी की खासियत

deccani sheep
डेक्कानी भेड़ की प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. पशु पालन करने वाले किसान पशुओं को पालकर इसके दूध और मीट से अच्छा खासा मुनाफा कमाते हैं. पशु पालन में भेड़ पालन भी बहुत मुनाफा कमाकर देने वाला सौदा होता है. किसान भेड़ पालन कर इसका ऊन निकालते हैं और इससे फायदा होता है. वहीं भेड़ का मीट भी खूब पसंद किया जाता है. इस वजह से इसे बहुत से भेड़ पालक मीट के कारोबार के लिए भी पालते हैं और मुनाफा कमाते हैं. यदि पशु पालक भेड़ का पालन करना चाहते हैं तो उन्हें ये जरूर पता होना चाहिए कि किस नस्ल की भेड़ से उन्हें कितना फायदा होगा.

इस आर्टिकल में हम डेक्कानी भेड़ का जिक्र कर रहे हैं. भेड़ की डेक्कनी नस्ल दक्कन के पठार में तीन राज्यों महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक में व्यापक रूप से पाई जाती है. इसकी पहचान की बात की जाए तो इस नस्ल की गर्दन पतली, छाती संकरी, रीढ़ की हड्डी उभरी हुई होती है. जबकि नाक रोमन और कान झुके हुए होते हैं. इस भेड़ का रंग मुख्य रूप से काला होता है. कुछ भूरे और भूरे रंग की भी भेड़ होती हैं. डेक्कनी भेड़ की मुख्यता चार नस्ल है. जिसे लोनंद, संगमनेरी, सोलापुरी (सांगोला) और कोल्हापुरी कहते हैं. एनडब्ल्यूपीएसआई के तहत रखी गई डेक्कनी भेड़ों के लिए जन्म के समय, तीन, छह, नौ और बारह महीने की उम्र में शरीर का वजन क्रमशः 3.13, 14.30, 18.20, 20.10 और 22.57 किलोग्राम होता है.

मीट के उत्पादन की बहुत है संभावना
भेड़ों का वर्ष में दो बार ऊन काटा जा सकता है. वहीं मेमनों की पहली छह मासिक क्लिप और दूसरी छह मासिक क्लिप और वयस्क वार्षिक क्लिप का कुल साधन क्रमशः 467, 499 और 488 ग्राम होता था. आईसीएआर की वेबसाइट के मु​ताबिक दूध छुड़ाने के बाद दक्कनी मेमनों को फीडलॉट ट्रेल्स (90 दिन) पर रखा गया तो उनका शुरुआती औसत वजन 13.23 किलोग्राम था. फिर छह महीने की उम्र में अंतिम वजन 22.65 था. 1:5.91 के फ़ीड दक्षता अनुपात के साथ 9.13 किलोग्राम का औसत लाभ प्राप्त हुआ. इससे पता चलता है कि डेक्कनी में प्रबंधन की गहन प्रणाली के तहत मटन उत्पादन की काफी संभावनाएं हैं. इस वजह से इसे मीट के लिए पाला जा सकता है और ये अच्छा फायदा देगी.

ये जरूरतें होती हैं भेड़ों की
यदि पशु पालक सफल दक्कनी भेड़ पालन करना चाहते हैं तो उसके लिए एक उपयुक्त वातावरण बनाने की आवश्यकता होगी. जोकि उनकी विशिष्ट जरूरतों को पूरा कर सकें. उनके लिए एक अच्छी तरह हवादार घर देने की जरूरत होती है. ताकि भेड़ों को अत्यधिक गर्मी, ठंड और बारिश जैसे मौसम से बचा सके. वहीं शिकारियों के प्रवेश से रोकने और भेड़ों को सुरक्षित रखने के लिए खेत को मजबूत बाड़ से सुरक्षित करना बहुत जरूरी होता है. भेड़ों के चारे के लिए विभिन्न प्रकार की पौष्टिक घास और फलियों के साथ पर्याप्त चरागाह भूमि की भी आवश्यकता होती है. वहीं भेड़ों के लिए उनकी रोज की जरूरतों को पूरा करने के लिए स्वच्छ और पर्याप्त पानी की व्यवस्था भी सुनिश्चित करना चाहिए.

सप्लीमेंट चारा भी खिलाना चाहिए
दक्कनी भेड़ों की भोजन पद्धतियों के बारे में बात की जाए तो इन भेड़ों की पोषण संबंधी आवश्यकताएं अपेक्षाकृत कम ही होती हैं और इन्हें अनेक तरह के आहार पर पाला जा सकता है. इन भेड़ों को चरागाहों पर घुमाना जरूरी होता है. इससे ताजा और पौष्टिक चारे की निरंतर आपूर्ति वो स्वयं कर लेती हैं. दुबलेपन की स्थिति में जब चरागाह की गुणवत्ता खराब हो तो सप्लीमेंट चारा देना चाहिए. इसमें घास, साइलेज और विशेष रूप से भेड़ के लिए तैयार किया गया संकेंद्रित चारा भी शामिल किया जा सकता है. भेड़ की खनिज आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए नमक ब्लॉक और खनिज मिश्रण जैसे खनिज सप्लीमेंट भी दिए जा सकते हैं. भेड़ों के लिए हर समय स्वच्छ और आसानी से सुलभ जल उपलब्ध होना चाहिए.

Written by
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