नई दिल्ली. उत्तर प्रदेश में खरीफ और जायद में लगभग 1.90 लाख क्विंटल और रबी में 0.61 लाख क्विंटल तथा कुल 2.42 लाख क्विंटल चारा बीज की जरूरत होती है. जबकि राज्य में चारा बीज की जरूरत के मुताबिक लगभग 9 हजार या फिर 10 क्विंटल चारा बीज की ही आपूर्ति सुनिश्चित हो पाती है. जबकि 2.41 लाख क्विंटल चारा बीज की प्रदेश में कमी है. जिसकी पूर्ति पशुपालक निजी सोर्स एवं स्थानीय बाजारों से खरीदने को मजबूर होते हैं. इसके चलते पशुओं की खिलाई—पिलाई पर ज्यादा खर्च होता है और इससे पशुपालन में फायदा कम हो जाता है.
मौजूदा वक्त में प्रदेश में चारे की कमी के तहत अतिरिक्त चारा विकास कार्यक्रम के तहत ज्यादा से ज्यादा पशुपालकों, किसानों को हरे चारे के उत्पादन में दिचलस्पी पैदा करने के उद्देश्य से प्रोत्साहन के लिए प्रदेश के सभी जिलों में प्रमाणित, सत्यापित और अधिसूचित चारा बीज मिनीकिट उपलब्ध कराया जाएगा. इस उद्देश्य से राज्य योजना के अधीन अतिरिक्त चारा विकास कार्यक्रम संचालित कराये जाने के लिए प्रदेश में उपलब्ध पशुधन के लिए सभी 75 जिलों में हरा चारा उत्पादन के प्रोत्साहन के लिए हर चयनित लाभार्थी को कम से कम 0.1 हेक्टेयर तथा अधिकतम 0.5 हेक्टेयर क्षेत्रफल के लिए अनुमानित 500 रुपये प्रति इकाई एक हेक्टेयर की दर से चारा बीज मिनीकिट उपलब्ध कराया जाएगा.
40 हजार पशुपालकों को मिलेगा फायदा
योजना के मुताबिक चारा बीज मिनीकिट वितरण के लिए 200 लाख रुपये की मांग प्रस्तावित की जा रही है. योजना वर्ष 2024-25 की खरीफ, रबी, जायद सीजन में कियान्वित करने के लिए प्रस्तावित की जा रही है. योजना के तहत 40 हजार पशुपालकों को लाभान्वित किया जाना है. वित्तीय वर्ष 2024-25 में प्रदेश के सभी 75 जिलों में हरा चारा उत्पादन के लिए प्रत्येक जनपद की भौगोलिक स्थिति, सिंचित दशा तथा फसल सीजन के अनुसार चारा उत्पादन मिनीकिट पशुपालकों/कृषकों को उपलब्ध कराया जायेगा. प्रदेश में आमतौर पर पशुपालन का कार्य लघु और सीमांत किसानों व पशुपालकों द्वारा किया जा रहा है. ऐसी स्थिति में योजना को व्यापक रूप से पशुपालकों के लिए फायदेमंद बनाने के लिए कम से कम 1 हेक्टेयर और ज्यादा से ज्यादा 5 हेक्टेयर सीलिंग निर्धारित की गयी है. जिलों में लाभार्थियों की संख्या, कवरिंग टारगेट जुड़े हैं. कार्य योजना साल 2024-25 की खरीफ, रबी और जायद सीजन में चलाने के लिए प्रस्तावित की गई है.
योजना का क्या है उदृेश्य
प्रदेश में चारे की कमी को दूर करने में सहायता करना.
पशुपालकों को दूध व्यवसाय अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना.
पशुओं के लिए सालभर हरा और पौष्टिक चारा उपलब्ध कराना.
पशुओं के स्वास्थ्य में सुधार और उत्पादन में वृद्धि करना.
योजना के जरिए पशुओं के मृत्युदर में कमी करना.
हरे चारे का उत्पादन बढ़ाकर दूध उत्पादन लागत में कमी लाना.
वर्ष भर हरे चारे की उपलब्धता होने की दशा में निराश्रित गोवंशों की संख्या में कमी आएगी.
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