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Dairy: यहां जानें बनास डेयरी अमूल प्लांट में दूध से क्या-क्या आइट्म्स बनेंगे

langda bukhar kya hota hai
प्रतीकात्मक तस्वीर.

नई दिल्ली. अब वाराणसी में दूध की धारा बहेगी. जिसका सीधा फायदा पूर्वांचल के करीब 1346 गांव के लोगों को होगा. इससे करीब एक लाख लोगों को रोजगार भी मिलेगाा. वहीं बनास डेयरी अमूल प्लांट में दूध के कई आइटम्स बनेंगे. जिसमें इस प्लांट में बनारस का मशहूर लौंगलता और लाल पेड़ा भी. साथ ही दही, लस्सी, आइसक्रीम, पनीर मिठाई आदि भी बनाई जाएगी. जिससे मिलावटखोरी पर भी लगाम लगेगी और लोगों को क्वालिटी वाला प्रोडक्ट मुहैया हो सकेगा. यूपी सरकार ने इस संबंध में प्रेस रिलीज जारी के जाानकारी साझा की है. बताते चलें कि आने वाली 23 फरवरी को कारखियाओं एग्रो पार्क में स्थित 23 एकड़ में फैले बनास डेयरी अमूल इंडस्ट्री का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे.

पूर्वांचल में नहीं होगी दूध उत्पादों की कमी
इस संबंध में जानकारी देते हुए एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर ब्रिगेडियर विनोद बाजिया ने कहते हैं कि भविष्य में अच्छे नस्लों के पशुओं के लिए कंपनी में कृत्रिम गर्भाधान की भी व्यवस्था यहां होगी. जिससे अधिक दुग्ध उत्पादन हो सके. कंपनी की ओर से दुग्ध उत्पादकों को उच्च गुणवत्ता वाला पशु आहार भी उपलब्ध कराया जाएगा. वहीं प्लांट के खुलने से पूर्वांचल में दूध व दूध के उत्पादों की कमी नहीं होगी और मिलावटखोरों पर भी लगाम लगेगी. उन्होंने बताया कि मौजूदा वक्त में डेयरी प्लांट की प्रोसेसिंग क्षमता 10 लाख लीटर प्रतिदिन की है. जिसे बढ़ाकर 15 लाख लीटर किया जा सकता है.

किस प्रोडक्ट का कितना होगा उत्पादन
बनास डेयरी अमूल प्लांट की क्षमता की बात की जाए तो यहां लिक्विड दूध प्रोसेसिंग 8 एलएलपीडी ( लाख लीटर पर डे), पाउच दूध पैकिंग क्षमता 5 एलएलपीडी (लाख लीटर पर डे), बटर मिल्क निर्माण क्षमता, 75 केएलपीडी ( किलो लीटर पर डे), दही निर्माण क्षमता: 50 एमटीपीडी (मीट्रिक टन पर डे), लस्सी निर्माण क्षमता 15 केएलपीडी ( किलो लीटर पर डे), आइसक्रीम निर्माण क्षमता 70 केएलपीडी( किलो लीटर पर डे), पनीर निर्माण क्षमता 20 एमटीपीडी (मीट्रिक टन पर डे) और मिठाई निर्माण संयंत्र में 10 एमटीपीडी (मीट्रिक टन पर डे) उत्पादन किया जाएगा.

कई जिलों के गो पालकों को होगा फायदा
वहीं एमडी संग्राम चौधरी ने बताया कि अभी 5 जिले गाज़ीपुर, मीरजापुर, चंदौली, वाराणसी, संतरविदास नगर के किसान लाभान्वित हो रहे हैं. जबकि भविष्य में जौनपुर, आजमगढ़, कौशांबी, प्रयागराज, अंबेडकर नगर, बलिया, मऊ, कुशीनगर, महराजगंज, सिद्धार्थ नगर, बस्ती, संतकबीर नगर, गोरखपुर के किसान और गो पालकों को भी इसका फायदा लाभान्वित होंगा. इस प्लांट में प्राकृतिक संसाधनों को कम प्रयोग करने के लिए 4 एलएलपीडी क्षमता वाला एक ईटीपी प्लांट ( पानी का पुनःउपयोग, हाउस कीपिंग, बागवानी और बॉयलर) में किया जाएगा। 1 मेगावाट क्षमता वाला सौर प्लांट भी स्थापित किया गया है.

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