नई दिल्ली. मछली पालन एक बेहतरीन व्यवसाय है. बहुत से किसान मछली पालन करके अच्छी खासी इनकम हासिल कर रहे हैं. मछली पालन करने और इससे फायदा उठाने के लिए इसकी जानकारी होना भी जरूरी है. मछली पालन करने में जिस तरह से मछली पालक को ये पता होना चाहिए कि मछली को क्या-क्या कब और कितना खिलाना है, ठीक उसी तरह से अन्य बातों की जानकारी भी होनी चाहिए. मछली की अच्छी ग्रोथ के लिए कई और कारक भी बेहद अहम है. अगर तालाब में तापमान का स्तर कम है तो इससे भी मछली की ग्रोथ पर असर पड़ सकता है.
एक्सपर्ट बताते हैं कि जिस तालाब में मछली पाली जा रही है, उसके तापमान की जानकारी होना जरूरी है. क्योंकि तापमान के घटने और बढ़ने का असर मछली पर पड़ता है. तापमान के बढ़ने से मछली को कुछ दिक्कतें भी होती हैं, ये भी जानना बेहद अहम है. आइए तालाब के तापमान और इसके असर के बारे में जानते हैं.
अनुकूल तापमान कितना होना चाहिए
फिश एक्सपर्ट के मुताबिक सभी प्राणियों के लिए तापमान की एक आर्दश सीमा होती है एक तापमान सहने की सीमा होती है. तथा एक तापमान सहने की अंतिम सीमा होती है. मछली का व्यवहार सीधे तौर पर वातावरणीय तापमान से सम्बन्धित होता है. तापमान के बढ़ने या घटने से अन्य भौतिक रासायनिक तथा जैविक कारकों पर काफी प्रभाव पडता है. कार्य मछलियों के लिए सबसे अनुकूलतम जल तापमान 25 से 30 डिग्री सेल्सियस के बीच होता है. इसी तापमान कम में अनुकूलतम वृद्धि अभिकतम पाचन एंव प्रजनन इत्यादि होती है. तापमान बढ़ने से मछली के लिए उपलब्ध आवश्यक पदार्थों जैसे घुलित ऑक्सीजन इत्यादि घटने लगते हैं. वायु का तापमान प्रतिदिन 10 डिग्री सेल्सियस तक परिवर्तित हो सकता है. जबकि जलीय तापमान 50 सेमी. गहराई पर नही बदलने वाला रहता है.
ग्रोथ में होता है फायदा
क्लोस्ड रिसकुलेटिंग सिस्टम के अलावा जलकृषि की सभी तकनीकों में तापमान प्रबंधन लिए निम्नलिखित बदलाव जरूरी है. मत्स्य बीज संचय तभी करें जब तापमान सहायक हो. तापमान के अभिक या कम होने पर मत्स्य आहार नियंत्रित कर दें. तापमान के कारण बिमारियों या मृत्यु होने से पूर्व दोहन कर लें. जरुरत होने पर पानी बदलें. जल में तापमान के समुचित वितरण हेतु वायुकरण यंत्रों या जल चककों का प्रयोग किया जा सकता है. जिससे जलीय गुणवतता अच्छी होगी तथा उत्पादन बढ़ेगा. जल मिश्रण से तालाब में होने वाली समस्याओं से बचा जा सकता है. कुल घुलित ठोस पदार्थ मी एक महत्वपूर्ण कारक है. घुलित ठोस पदार्थ के रुप में कई महत्वपूर्ण पोषक एंव खनिज पदार्थ होते हैं जो कि पादप प्लवकों की बडवार में सहायक होते हैं.
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