नई दिल्ली. पोल्ट्री कारोबार में मुर्गी पालन भी एक बेहतरीन व्यवसाय है और यह व्यवसाय दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है. पोल्ट्री कारोबार में हाथ आजमाने की इच्छा रखने वाले लोगों को इसके लिए ट्रेनिंग लेनी चाहिए. ताकि कारोबार में उन्हें नुकसान न उठाना पड़े. मुर्गी पालन में कई बातों का ख्याल रखना पड़ता है. इसके साथ ही मुर्गी या चूजू को जहां पर रखा जाता है उसे जगह पर जमीन पर ऐसा क्या बिछाया जाए जिससे फंगस आदि से बचाया जाए यह जानना पोल्ट्री करो बाबू के लिए बेहद अहम है.
बिछावन का सही प्रबंधन पक्षी की सेहत के लिए बहुत ही अहम भूमिका निभाता है. आपकी पोल्ट्री फार्म के मुनाफे को भी बढ़ाने में मदद करता है. इसलिए कभी बिछावन गीली हो तो तुरंत निकाल कर नई बिछावन बदल देना चाहिए. कभी भी पुराने बिछावन को उपयोग में नहीं लाना चाहिए. इससे नुकसान होता है.
लकड़ी का बुरादा है अच्छा विकल्प
विशेषज्ञों के मुताबिक बिछावन में कई चीजों का उपयोग किया जा सकता है लेकिन बिछावन हमेशा सूखी और फंगस से मुक्त होनी चाहिए. इसमें सोखने की क्षमता अच्छी होनी चाहिए. इसके तौर पर चावलों का छिलका और सस्ता और आसानी से उपलब्ध हो जाता है. यह बेहतर हो सकता है और चूजों के लिए आरामदायक भी होता है. लकड़ी के बुरादे को भी बिछावन के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है. लेकिन सूखा बुरादा ही उपयोग में लाना चाहिए और इसमें फंगस या लकड़ी के मोटे टुकड़े नहीं होने चाहिए. अगर मजबूरी है तो आप गेहूं यह धन की सूखी बड़ी घास भी इस्तेमाल कर सकते हैं.
रेत का इस्तेमाल कभी न करें
चावलों का सूखा छिलका सबसे बेहतर माना जाता है. कुछ पोल्ट्री फार्म में बिछावन के तौर पर रेत का उपयोग भी करते हैं. यह तरीका गलत माना जाता है. कभी भी रेत का उपयोग बिछावन के तौर पर नहीं करना चाहिए. सर्दी में पोल्ट्री फार्म पर अमोनिया गैस बनने की समस्या होती है. इसलिए सर्दियों में बिछावन तीन इंच तक देने से अमोनिया कम बनती है. अमोनिया के स्तर को कम करने के लिए बिछौना में वजन के हिसाब से 5 फीसदी फिटकरी मिलने से अमोनिया कम बनती है. फिटकरी वजन के हिसाब से मिलने पर अमोनियम 70% तक काम हो जाती है और बिछावन बैक्टीरिया का प्रभाव भी काफी कम हो जाता है.
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