Home पोल्ट्री Poultry: CLFMA ने पोल्ट्री की आगामी इन आशंकाओं से पशुपालन मंत्री को कराया अवगत
पोल्ट्री

Poultry: CLFMA ने पोल्ट्री की आगामी इन आशंकाओं से पशुपालन मंत्री को कराया अवगत

bird flu, poultry, livestock animal news
पोल्ट्री फार्म का प्रतीकात्मक फोटो. livestock animal news

नई दिल्ली. मक्का की बढ़ती डिमांड और घटते उत्पादन ने गाय-भैंस, पोल्ट्री और मछलियों के लिए फीड तैयार करने वाली इंडस्ट्री की चिंता बढ़ा दी है. लगतार घट रहे उत्पादन के कारण एक साल के मुकाबाले मक्का के रेट में प्रतिटन चार हजार रुपये तक की बढ़ोत्तरी हो गई है. यही वजह है कि फीड तैयार करने वाली इंडस्ट्री की एसोसिएशन कंपाउंड लाइव स्टॉक फीड मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन (CLFMA) ने केन्द्रीय पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरषोत्तयम रूपाला को पत्र लिखकर बड़ी आशंका जताई है.एनीमल एक्सीपर्ट के अनुसार लाइव स्टाक सेक्टर में सबसे ज्यादा लागत फीड पर ही आती है.

मक्का और सोयाबीन हो इंपोर्ट ड्यूटी फ्री
मक्का की बढ़ती डिमांड और घटते उत्पादन ने फीड की कीमतों में भी उछाल देखने को मिल रहा है. पोल्ट्री फीड में 60 तो डेयरी फीड में 10-20 फीसदी तक मक्का का इस्तेमाल होता है. मगर, मक्का के घटते उत्पादन के कारण फीड की कीमतें भी बढ़ रही हैं. यही वजह है कि पोल्ट्री फेडरेशन ऑफ इंडिया और वैट्स इन पोल्ट्री भी पशुपालन मंत्री को पत्र लिखकर फीड से जुड़ी आने वाली परेशानियों से अवगत करा चुकी है. एसोसिएशन कंपाउंड लाइव स्टॉक फीड मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन यानी CLFMA के चेयरमैन सुरेश देवड़ा ने केन्द्रीय पशुपालन मंत्री को पत्र लिखकर मक्का और सोयाबीन के इंपोर्ट की मांग की है. उनका कहना है कि हम मांग करते हैं कि भारत सरकार पोल्ट्री और डेयरी किसानों के हितों का ख्याल रखते हुए मक्का और सोयाबीन को इंपोर्ट ड्यूटी से फ्री करे.

ये हैं डेयरी के हालत, जो लगातार बने हैं चिंता का विषय
एसोसिएशन कंपाउंड लाइव स्टॉक फीड मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन यानी CLFMA के चेयरमैन सुरेश देवड़ा ने केंद्रीय मंत्री को पत्र लिखकर फीड को लेकर आने वाली परेशानी के बारे में अवगत कराया है. उन्होंने पत्र में कहा कि लगातार फीड के दाम बढ़ने और चिकन-दूध के दाम घटने के कारण किसान लगातार घाटे में जा रहा है. आज ब्रॉयलर चिकन की लागत 85 से 90 रुपये किलो तक आ रही है. जबकि थोक बाजार में चिकन लागत से भी कम पर बिक रहा है. इसी तरह से कई प्रदेशों में दूध के दाम कम हुए हैं, जबकि फीड के दाम लगातार बढ़ रहे हैं. पोल्ट्री-डेयरी में फीड के दो प्रमुख अनाज मक्का और सोयाबीन के चलते किसानों को परेशानी उठानी पड़ रही है. इथेनॉल में मक्का का इस्तेजमाल होने के चलते ये परेशानी और बढ़ गई है. महाराष्ट्र और कर्नाटक में मक्का की आवक में 40 फीसद की गिरावट देखी जा रही है. जबकि मध्यम प्रदेश में 10 फीसदी की.

25 लाख टन मक्का जा सकती है इथेनॉल में
CLFMA चेयरमैन सुरेश देवड़ा का कहना है कि एक्सपर्ट की मानें तो इथेनॉल के लिए 25 लाख टन मक्का जा सकती है. ये एक बड़ा नंबर है. इसका पशुपालन क्षेत्र पर भी इसका बड़ा असर देखने को मिलेगा. वर्तमान में बाजार में प्रति टन मक्का की कीमत 25 हजार रुपये टन है. लेकिन जब मक्का का ऑफ सीजन होगा तो ये कीमत 28 से 30 हजार रुपये पर जा सकती हैं. बीते साल बाजार में मक्का की उपलब्धता के कारण कीमतें कंट्रोल में रहीं थी. लेकिन इस साल हालात काबू से बाहर होते दिख रहे हैं.बता दें कि गन्ना आधारित स्रोतों और चावल की उपलब्धता बाधित है, इसलिए भारत सरकार का इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम डिस्टिलरी द्वारा इथेनॉल उत्पादन के लिए मक्का के उपयोग को भी प्रोत्साहित कर रहा है, जिससे उद्योग के स्रोतों के अनुसार 25 लाख मीट्रिक टन मक्का डायवर्ट होने की उम्मीद है. यही वजह है कि इससे मक्के की बैलेंस शीट पर और दबाव पड़ेगा.

फीड के लिए ये बड़ी समस्याएं बनी हुइर् हैं
मक्के की कीमतें वर्तमान में अधिकांश जगहों पर 25 हजार प्रति मीट्रिक टन पर कारोबार कर रही हैं, उद्योग और व्यापारियों ने ऑफ सीजन के दौरान 28 हजार से 30 हजार प्रति मीट्रिक टन का अनुमान लगाया है, जबकि पिछले साल इसी सीजन में मक्के की कीमतें 23 हजार से 24 हजार रुपए थीं, लेकिन अच्छी उपलब्धता के कारण ऑफ सीजन के दौरान मक्के की कीमतें सीमित दायरे में रहीं. मक्के की अगली प्रमुख फसल के बाजार में आने की उम्मीद केवल खरीफ सीजन के दौरान होने की उम्मीद है क्योंकि रबी की फसल ज्यादातर बिहार में केंद्रित है जो इतनी लंबी अवधि के लिए पूरे देश की सेवा के लिए पर्याप्त नहीं होगी. गैर-जीएम मक्का की अंतर्राष्ट्रीय कीमतें 275 यूएसडी प्रति एमटी सीएनएफ मुंबई पर कारोबार कर रही हैं जो प्लांट डिलीवरी के लिए लगभग 26 हजार प्रति एमटी होगी. इसलिए, इससे किसानों के लिए घरेलू मक्के की कीमतों पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा और साथ ही मक्के की आपूर्ति में अपेक्षित कमी के कारण अनुमानित मूल्य वृद्धि में भी कमी आएगी. इसी प्रकार, अनियमित मानसून पैटर्न के कारण सोयाबीन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है, जिससे प्रमुख उत्पादक राज्यों में उत्पादन कम हो गया है.

Written by
Livestock Animal News Team

Livestock Animal News is India’s premier livestock awareness portal dedicated to reliable and timely information.Every news article is thoroughly verified and curated by highly experienced authors and industry experts.

Related Articles

livestock animal news
पोल्ट्री

Poultry Feed: मुर्गियों को मुफ्त वाला फीड भी देता है फाइबर और प्रोटीन, जानें इसके लिए क्या खिलाना है

नई दिल्ली. पोल्ट्री फार्मिंग में तकरीबन 70 फीसदी तक खर्च मुर्गियों के...

livestookanimalnews-poultry-cii-egg-
पोल्ट्री

Poultry Farming: किचन वेस्ट के साथ मुर्गियों को खिलाएं प्रोटीन से भरपूर ये फीड, पढ़ें इसके फायदे

नई दिल्ली. मुर्गी पालन में खासतौर पर बैकयार्ड पोल्ट्री फार्मिंग में फीड...

poultry farming, poultry feed, marigold, poultry
पोल्ट्री

Poultry Farming: पोल्ट्री फार्मिंग में फीड की लागत करने के लिए क्या खिलाएं, जानें यहां

नई दिल्ली. पोल्ट्री फार्मिंग में सबसे ज्यादा खर्च मुर्गियों के फीड पर...