नई दिल्ली. अच्छी मछली अच्छी इनकम देती है. आजकल मछली पालन एक बेहतरीन व्यवसाय है. मछली पालने के लिए साफ पानी के तालाब की जरूरत होती है. ताकि मछलियों को बराबर मात्रा में ऑक्सीजन मिल सके. आमतौर पर मछली पालक रोहू, कतला, मृगल, ग्रास कार्प, सिल्वर कार्प जैसी मछलियों को पालकर अच्छा मुनाफा कमाते हैं. मछली पालन के लिए एक तालाब के निर्माण में करीब 5 लाख रुपये तक की लागत आ सकती है. जबकि इसके लिए सरकार भी मदद करती है. मछली पालन के लिए केंद्र सरकार से 50 फीसदी, राज्य सरकार से 25 प्रतिशत तक मदद प्राप्त की जा सकती है.
वैसे तो मछली पालन करके मछली पालक अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं, लेकिन मछलियों में भी बीमारी का खतरा बना रहता है. मछलियां भी अन्य प्राणियों के समान ही प्रतिकूल वातावरण में बीमार हो जाती हैं. मछली बेहद ही संवेदनशील होती है. जरा सी बीमारी में मछली पालकों को नुकसान हो सकता है. बीमारी फैलने ही संचित मछलियों के स्वभाव में फर्क आता है. जिससे मछली पालक को यह पता चल सकता है कि मछली बीमार है और फिर उसका इलाज वह कर सकते हैं लेकिन इसके लिए जरूरी है की मछली पलक को इस बारे में विस्तृत जानकारी रहे. आइए आपको इसी के बारे में बताते हैं कि आप कैसे मछली की बीमारी का पता लगा सकते हैं.
पानी में बार-बार गोल-गोल घूमना: सबसे पहले तो बीमार मछली समूह में न रहकर किनारे पर अलग-अलग दिखाई देती है. या शिथिल भी हो जाती है. बेचैनी अनियंत्रित रूप से तैरना मछली की बीमारी का एक और लक्षण है. पानी में बार-बार कूद कर पानी को छलकाना भी मछली की बीमारी की ओर इशारा करता है. शरीर को बांध के किनारे या पानी में करीब बांस की ठूंस बार-बार लगाना भी बीमारी की निशानदेही करती है. पानी में बार-बार गोल-गोल घूमना भी मछलियों के बीमार होने की ओर इशारा करते हैं.
आंख और शरीर फूल जाता है: इसके अलावा भोजन न करना, पानी में सीधा टांगे रहना कभी-कभी उलटी भी हो जाती हैं. बीमारी की वजह से मछली के शरीर का रंग फीका पड़ जाता है. चमक कम हो जाती है. शरीर पर सिलीकानिक्स द्रवस्राव के शरीर चिपचिपा चिकना हो जाता है. कभी-कभी आंख शरीर पर फूल जाते हैं. शरीर की त्वचा फट जाती है तथा उसे खून लग जाता है. गड़बड़ी गिल्स की लाली काम हो जाती है. सफेद धब्बों का सफेद धब्बे बन जाते हैं शरीर में परजीवी का वास हो जाता है.
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