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Poultry Farming : कम लागत में ऐसे बनाएं घर में मुर्गी फीड, हेल्थ के साथ-साथ बढ़ेगा बिजनेस में मुनाफा

Poultry farming: Not only airborne infections, but also water can spread disease in chickens, Livestocknews.com
फार्म में चारा खाती मुर्गियां. live stock animal news

नई दिल्ली. किसान अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए खेती किसानी के अलावा अन्य काम भी कर रहे हैं. जिसमें से एक है मुर्गी पालन. बहुत से लोग मुर्गी पालन को बड़े पैमाने पर करते हैं. जबकि कुछ लोग इस छोटे पैमाने पर करते हैं. मुर्गी पालन करने वाले लोगों को मुर्गी की फीड से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है. क्योंकि मुर्गी दाना खरीदने में ज्यादा पैसे खर्च हो जाते हैं. ऐसे में मुर्गी पालन से लोगों की लागत बढ़ जाती है. इस वजह से बहुत से लोग मुर्गी पालन करना ही बंद कर देते हैं.

जिसके कारण यह तो मुर्गी पालन करना छोड़ देते हैं या फिर कुछ लोग मुर्गियों को कुछ और खिला देते हैं. जिससे मुर्गियों के स्वास्थ्य पर असर पड़ता है. उन्हें इसका फायदा नहीं मिल पाता. वैसे तो मुर्गी के खाने में अक्सर बाजरा, मक्का आदि दिया जाता है. ऐसे में ऐसी कुछ चीजों को सही मात्रा में अगर घर पर ही मिलकर मुर्गियों को दिया जाए तो मुर्गी के दाना तैयार किया जा सकता है. इससे बाजार से मुर्गी की दाना नहीं खरीदना होगा.

मक्का का होता है 70 फीसदी इस्तेमाल
मक्का ऊर्जा का मुख्य स्रोत माना जाता है. जिसे मुर्गियों को पचना और इंसानों को लंबे समय तक रखना आसान होता है. ज्यादातर देशों में मक्के का उपयोग मुर्गी पालन के लिए बड़े पैमाने पर किया जाता है. प्रति किलोग्राम सूखी मक्का की मात्रा लगभग 3350 किलो कैलोरी, 8 फीसदी प्रोटीन होता है. मुर्गी पालन में 70 फीसदी मक्का के डाली जाती है. मक्का हमेशा सूखा और फंगस मुक्त होना चाहिए. मक्के में 13.5 परसेंट की नमी होती है. नमी जांचने के लिए आप नमी मीटर या पारंपरिक विधि का प्रयोग कर सकते हैं.

सोयाबीन की खली दे सकते हैं
सोयाबीन की खाली प्रोटीन का बेहतर स्रोत है. इसमें 45 से 49 फ़ीसदी प्रोटीन होता है. सोयाबीन, खली, लाइसिन, थ्रेओनीन और ट्रिप्टोफैन होता है. सोयाबीन में कुछ फंगस से होते हैं. जिसे फैक्ट्री में थोड़ी गर्मी देकर ठीक किया जा सकता है. इसलिए खरीदते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि सोयाबीन अच्छी क्वालिटी का हो. वहीं मुर्गी आहार में 35% तक सोयाबीन खली मिलाई जा सकती है.

तेल मिलना भी बेहतर विकल्प
पोल्ट्री फीड को ज्यादा ऊर्जावान बनाने के लिए इसमें तेल का भी मिश्रण किया जा सकता है. तेल में विटामिन ए, डी आई और के का अच्छा भाग है. आप पोल्ट्री फीड बनाने में चावल, सोयाबीन, लाल सूरजमुखी और अन्य तेलों का उपयोग करते हैं तो पोल्ट्री फीड में केवल 4% मात्रा में तेल मिलाया जाता है.

चूने का पत्थर का पाउडर
चूने के पत्थर के पाउडर का उपयोग पोल्ट्री फीड बनाने के फॉर्म में किया जाता है. या पाउडर चारे में कैल्शियम की कमी को पूरा करता है. जिससे पक्षियों की हड्डियों के विकास से मदद मिलती है.

डायकैल्शियम फॉस्फेट
मुर्गी आहार में कैल्शियम की कमी को पूरा करने के लिए डायकैल्शियम फॉस्फेट फास्फोरस मिलाया जाता है. इसका प्रयोग विशेष रूप से शाकाहारी फीड फार्मूले में किया जाता है.

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