नई दिल्ली. देखा जाए तो अमेरिका-चीन और यूरोप में ऐसे कई देश हैं जो सिर्फ और सिर्फ भारतीय झींगा खाना ही पसंद करते हैं. हालांकि मौजूदा इस कारोबार के लिए बड़ा खराब है. क्योंकि इन देशों ने झींगा खरीद से हाथ खड़े कर दिया है. इससे डिमांड घट गई है. कम डिमांड के चलते झींगा एक्स्पोर्ट कम होना तो तय है. एक्सपर्ट की मानें तो झींगा के एक्सपोर्ट में 40 फीसद की कमी दर्ज की गई है. दिक्कत इस वजह भी है कि देश में झींगा की घरेलू डिमांड ना के बराबर है, ऐसे में किसानों के सामने बससे बड़ी परेशानी ये है कि वो झींगा को कहां बेचें. ऐसे में उनका नुकसान होना तय है.
गौरतलब हअै कि एक आंकड़े के मुताबिक देश में हर साल करीब 10 लाख टन झींगा का उत्पादन होता है. जबकि करीब सात लाख टन झींगा एक्सपोर्ट होता है. देश में गुजरात और आंध्रा प्रदेश में बड़ी मात्रा में झींगा का प्रोडक्शन होता है. उत्तर भारत की बात करें तो पंजाब और हरियाणा में भी झींगा का प्रोडक्शन होने लगा है. जबकि झींगा के घरेलू बाजार है ही नहीं. जिन जगहों पर झींगा उत्पादन होता है उसमें सबसे ज्यादा प्रोडक्शन के मामले में आंध्रा प्रदेश का नाम आता है. जबकि उत्तर भारत में पंजाब-हरियाणा और राजस्थान में भी झींगा पालन शुरू हुआ है. इन राज्य में करीब सात हजार टन झींगा उत्पादन हो रहा है. एक साल में झींगा की तीन से चार बार तक फसल तैयार की जा सकती है. 14-15 ग्राम वजन वाला झींगा तालाब में 70 से 80 दिन में तैयार हो जाता है.
क्यों गिर गया झींगा एक्सपोर्ट
झींगा हैचरी एसोसिएशन के अध्यक्ष रवि कुमार येलांकी का कहना है कि वर्ष 2021-22 में झींगा का 6.9 लाख टन एक्सपोर्ट हुआ था. लेकिन 2022 के आखिर से अचानक अमेरिका और चीन के बाजार में मंदी ने खेल बिगाड़ दिया. जबकि रूस-उक्रेन युद्ध के चलते यूरोप के बाजार में भी झींगा की डिमांड न के बराबर हो गई. जबकि इन जगहों से इसकी डिमांड बहुत रहती थी. इसके चलते झींगा का एक्सपोर्ट 35 से 40 फीसद तक कम हो गया. तालाब में जो झींगा बचा हुआ है उसके लिए कोई ग्राहक नहीं मिल रहे हैं.
इन देशों में भी होता है एक्सपोर्ट
उन्होंने आगे कहा कि ऐसा भी नहीं है कि भारतीय झींगा खरीदने वाले सिर्फ अमेरिका-चीन और यूरोप देश ही हैं. जापान, अरब देश और साउथ-ईस्ट एशिया भी भारतीय झींगा खरीदा जाता है. हालांकि यहां झींगा कम एक्सपोर्ट है. अगर तीनों देशों के बीच की बात करें तो जापान 40 से 45 हजार टन सबसे ज्यादा झींगा खरीदा जाता है. इस मसले पर बात करते हुए गुजरात के रहने वाले और मछलियों के डॉक्टर मनोज शर्मा ने कहा कि अमेरिका-चीन और यूरोप के बाजारों में ये उतार चढ़ाव तो आते ही रहते हैं दिक्कत इस बात की है कि झींगा किसानों के पास घरेलू बाजार न होना. ऐसे में किसानों के पास झींगा बेचने का विकल्प नहीं है. इसलिए घरेलू बाजार तैयार करने की जरूरत है. एक सर्वे के मुताबिक देश में 75 फीसद लोग नॉनवेज खाते हैं. ऐसे में ये लोग साल भर में एक किलो झींगा भी खाने लगें तो झींगा किसानों के लिए एक बड़ा बाजार बन जाएगा. जबकि एक्सपोर्ट से निर्भरता कम हो जाएगी.
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